HomeGolden Deluxe Edition with Silver Box भारत का संविधान हिन्दी हार्ड बाइंडिग| नवीनतम शानदार प्रस्तुति
Golden Deluxe Edition with Silver Box भारत का संविधान हिन्दी हार्ड बाइंडिग| नवीनतम शानदार प्रस्तुति

Golden Deluxe Edition with Silver Box भारत का संविधान हिन्दी हार्ड बाइंडिग| नवीनतम शानदार प्रस्तुति

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Description
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सम्यक प्रकाशन की नवीनतम शानदार प्रस्तुति

भारत का संविधान

Golden Deluxe Edition with Silver Box

"अब तक जो हुआ उसका हमें गम नहीं।

अब जमाने को दिखाना है हम किसी से कम नहीं।"

- बौद्धाचार्य शांति स्वरूप बौद्ध

7007252516, 9956702516

प्रथम सम्यक संस्करण : 2024 (बुद्धाब्द 2569)

ISBN: 978-93-6603-265-8

प्रकाशक : सम्यक प्रकाशन

Web: www.samyakprakashan.Com

मूल्य : ₹ 800/-

रचना : भारत का संविधान

रचनाकार: डॉ. बी.आर. आंबेडकर

आवरण: शान्त कला निकेतन

शब्दांकन : संदीप आर्ट एण्ड ग्राफिक्स

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संविधान चाहे किसी भी देश का हो, उसे उस देश की भूमि का प्रधान कानून माना जाता है। अन्य जितने भी अथवा प्रकार के कानून, चाहे सिविल हों, क्रिमिनल हों, उनका प्रावधान संविधान के साथ सुसंगत होना आवश्यक होता है।

भारत वर्ष में स्वतन्त्र होने के पूर्व ही 2 सितम्बर, 1946 को अंतरिम सरकार का गठन हुआ जिसके प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी वने। डॉ. बी. आर. आंबेडकर ने इस सरकार में कानून मंत्री का पद संभाला। लॉर्ड माउंट बेटन योजना के अनुसार संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा का गठन हुआ। संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव प्रादेशिक विधानसभाओं द्वारा हुआ। उसमें प्रिंसली स्टेटस के मनोनीत सदस्य भी शामिल किए गए थे। सर्वप्रथम डॉ. बी. आर. आंबेडकर अविभाजित बंगाल से चुनकर संविधान सभा में आए थे। 15 अगस्त, 1947 को देश स्वतंत्र हुआ और बंगाल का भी विभाजन हुआ। इस वजह से डॉ. बी. आर. आंबेडकर का निर्वाचन क्षेत्र पूर्वी पाकिस्तान में चला गया इसलिए बाबासाहेब डॉ. बी. आर. आंबेडकर की सदस्यता समाप्त हो गई। फिर उनको बम्बई प्रादेशिक विधानसभा से चुना गया। देश की सेवा करने का उन्हें यह स्वर्णिम अवसर मिला। 29 अगस्त, 1947 को संविधान सभा ने संविधान मसौदा समिति का गठन किया जिसका अध्यक्ष डॉ. बी. आर. आंबेडकर को चुना गया। मसौदा समिति ने मसौदा तैयार किया और संविधान सभा में एक-एक धारा पर चर्चा के लिए 21 फरवरी, 1948 को संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को सौंप दिया। संविधान 2 वर्ष, 11 महीने, 18 दिनों में मुकम्मल हुआ।

संविधान सभा ने विशद्-विस्तृत चर्चा करके 26 नवम्बर, 1949 को संविधान को स्वीकृति प्रदान की। 28 अगस्त, 1948 को संविधान मसौदा समिति में सात निश्चित किए गए सदस्य थे, जिनके नाम निम्नवत् हैं-

1. डॉ. बी. आर. आंबेडकर (अध्यक्ष), 2. माननीय अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, 3. माननीय एन. गोपालस्वामी अयंगर, 4. डॉ. के.एम. मुन्शी, 5. माननीय सैयद मुहम्मद सैदुल्ला, 6. माननीय बी.एल. मित्तर और 7. माननीय डी. पी. खेतान ।

इस संबंध में संविधान सभा के प्रमुख सदस्य टी.टी. कृष्णमाचारी जी ने 5 नवम्बर, 1948 को अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा था- "महोदय! में सभा के उन लोगों में से एक हूं जिन्होंने डॉ. वी.आर. आंबेडकर को बड़े ध्यान से सुना। मैं उनके उत्साह तथा उस कार्य की क्षमता से परिचित हूं जो उन्हें इस संविधान का मसौदा बनाने में करना पड़ा। साथ-ही-साथ मेरा यह भी विश्वास है कि इस संविधान के मसीदे पर जो हमारे लिए आजकल इतना महत्त्व रखता है, जितना ध्यान दिया जाना चाहिए था उतना ध्यान मसौदा समिति ने इस पर नहीं दिया है। सभा को शायद यह विदित है कि उसने जो 7 सदस्य नियुक्त किए थे उनमें से एक ने सभा से त्यागपत्र दे दिया था और उसके स्थान पर अन्य सदस्य रखा गया था। एक का देहांत हो गया था, किन्तु उसकी जगह कोई भी व्यक्ति नहीं रखा गया। एक अमरीका में था और उसकी जगह किसी अन्य व्यक्ति द्वारा नहीं भरी गई तथा एक और सदस्य राजकार्य में लगा हुआ था। इतने रिक्त स्थान थे। एक या दो व्यक्ति दिल्ली से दूर थे और सम्भवतः अस्वस्थ होने के कारण वे उपस्थित न हो सके थे, अतः अन्त में यह हुआ कि इस संविधान का मसौदा बनाने का काम अकेले डॉ. वी.आर. आआंबेडकर के कंधों पर आ पड़ा और निःसन्देह हम उनके प्रति कृतज्ञ हैं कि इतने प्रशंसनीय ढंग से उन्होंने इस कार्य को पूरा किया।"

सम्यक प्रकाशन द्वारा 'भारत के संविधान' का यह संस्करण भारत के सर्वसाधारण लोगों के ज्ञानवर्धन के लिए उपलब्ध कराया गया है। संविधान की जानकारी भारत के प्रत्येक नागरिक को होनी चाहिए, अधिकारों के साथ ही उन्हें अपने कर्तव्यों का भी बोध होना चाहिए, इससे हमारे देश को विकास के मार्ग पर अग्रसर होने में सहायता मिलेगी। आशा है कि सम्यक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित यह ग्रंथ अपने लक्ष्य को अवश्य ही प्राप्त करेगा। अपने सुधी पाठकों से हमारा नम्र निवेदन है कि वे इस संस्करण को और अधिक प्रामाणिक बनाने की दृष्टि से अवश्य ही हमें अपने सुझावों से अवगत कराएंगे। हम उनके इस सहयोग के लिए आभारी रहेंगे।

॥ भवतु सव्वमंगलं ॥

[संविधान के (99वें संशोधन) अधिनियम को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक करार दे दिया ।]

- प्रकाशक

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